मध्यप्रदेश में सभी 230 और छत्तीसगढ़ में दूसरे दौर में 70 सीटों के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं। लोग उत्साह और जोश के साथ मतदान में हिस्सा ले रहे हैं। दोनों प्रदेशों में कांग्रेस को जहां अपने निभाए और नए वादों पर भरोसा है, वहीं बीजेपी कुल मिलाकर मोदीजी के भरोसे ही चुनाव लड़ती दिखाई दे रही है।
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जहां आदिवासी वोटरों को लुभाने की हर कोशिश की है, वहीं कांग्रेस ने वायदों की झड़ी लगा दी है। चुनावी वादों में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में पिछड़ी बीजेपी को अब हिंदुत्व का ही भरोसा रह गया है। बीजेपी को दोनों प्रदेशों में सीएम का चेहरा घोषित नहीं किए जाने का खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है।
छत्तीसगढ़ में मोदीजी का अगले 5 साल तक लोगों को 5 किलो मुफ्त राशन की घोषणा को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं है। क्योंकि यहां की सरकार पहले ही एक परिवार को 35 किलो चावल मुफ्त ही दे रही है। किसानों को धान के लिए 3100 रुपए प्रति क्विंटल की बीजेपी की घोषणा भी लोगों को आकर्षित कर पाने में नाकाम साबित हुई है। क्योंकि कांग्रेस ने दो कदम आगे बढ़कर 3200 रुपए प्रति क्विंटल धान की एमएसपी तय कर दी है। यहां के लोगों का कहना है कि बीते पांच साल में भूपेश बघेल की सरकार ने अपना किया वादा निभाया है। धान की खरीद 2500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से की गई है। साथ ही वादे के मुताबिक किसानों के कर्ज माफ किए गए हैं। जबकि बीजेपी ने कर्जमाफी का वादा तक नहीं किया है।
मध्यप्रदेश में तो बीजेपी की स्थिति ज्यादा खराब नजर आ रही है। यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि शिवराज सिंह चौहान की मौजूदा सरकार को जनता ने नहीं चुना है। ये सरकार गद्दारी से बनी है। विधायकों की खरीद फरोख्त के सहारे बनी इस सरकार से लोग खफा नजर आ रहे हैं। बीजेपी ने जिस तुरुप के इक्के के भरोसे कमलनाथ की सरकार गिराकर मध्य प्रदेश में सरकार बनाई, उस तुरुप के इक्के यानी ज्योतिरादित्य सिधिंया की अपने क्षेत्र में कोई हैसियत नहीं रह गई है। रही सही कसर प्रियंका गांधी ने दतिया की सभा में उन्हें विश्वासघाती और पीठ में छूरा घोंपनेवाला कहकर पूरा कर दिया है। प्रियंका ने दतिया की सभा में मोदीजी पर भी जमकर हमला बोला और यहां तक कह दिया कि मोदीजी ने दुनियाभर के गद्दारों और कायरों को अपनी पार्टी में ले लिया है।
हालांकि शिवराज सिंह चौहान भी अपने धुंआधार प्रचार में वादों की झड़ी लगाने में पीछे नहीं रहे हैं। वो अपनी सभाओं में कांग्रेस के वचन पत्र और नारे पर कटाक्ष करते नजर आए। कांग्रेस आएगी, खुशहाली लाएगी के नारे को झूठा करार देते हुए शिवराज सिंह चौहान धान और गेहूं की 3100 और 2700 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी के वादे के भरोसे किसानों का दिल जीतने की कोशिश की है। बीजेपी ने महतारी वंदन योजना के तहत हर महिला को 12 हजार रुपए सालाना देने का वाद भी किया है। 450 रुपए में गैस सिलेंडर और हर महिला को लखपति बनाने की योजना का भी शिवराज सिंह जिक्र करते नजर आए हैं। लेकिन शिवराज सिंह सरकार की दिक्कत ये है कि मोदीजी ने बतौर मुख्यमंत्री उनके नाम का एलान नहीं किया है। कई सभाओं में तो उनकी मौजूदगी के बावजूद मोदीजी उनका नाम तक लेना भूल गए हैं।
दरअसल बीजेपी की घोषणाओं को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोग संदेह की निगाहों से देख रहे हैं। उन्हें बार बार मोदीजी की 15-15 लाख देने की घोषणा याद आने लगती है। दूसरी जो सबसे बड़ी ये है कि दोनों प्रदेशों के लोगों का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी कोई घोषणा कर रहे हैं तो वो घोषणा पूरे देश के लिए होनी चाहिए ना कि दो प्रदेशों के लिए। जाहिर है कि ये घोषणाएं महज वोट बटोरने के लिए की जा रही है।
ऐसे में बीजेपी को हिंदुत्व का ही सहारा ही दिखाई दे रहा है। जिसके सहारे उन्होंने कई प्रदेशों में सरकार बनाई है और सरकार बचाई भी है। राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और देश का नाम विदेशों में रौशन करने का श्रेय शहरी क्षेत्रों के लोग मोदी सरकार को देते नजर तो आते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्दों पर लड़े जा रहे विधानसभा चुनावों मं इनका कितना असर होगा ये 3 दिसंबर को ही पता चलेगा। जब ईवीएम खुलेंगे और नतीजों का एलान होगा। फिलहाल कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी-अपनी जीत के ढोल पीट रही हैं।