सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों की रिहाई के लिए केवल महाराष्ट्र सरकार ही सक्षम सरकार है। इंसाफ की इस लड़ाई में बिलकिस बानों की जीत के बाद सभी 11 दोषियों को दो हफ्ते के भीतर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करना होगा। कोर्ट ने कहा कि गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग शक्ति को हड़पने और शक्ति के दुरुपयोग का एक उदाहरण है। यह एक क्लासिक मामला है, जहां इस अदालत के आदेश का इस्तेमाल छूट देकर कानून के शासन का उल्लंघन करने के लिए किया गया था।
बिलकिस बानो का मामला गुजरात दंगे के दौरान की है। तब बिलकिस बानो 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं। साम्प्रदायिक दंगों के दौरान इन 11 सजायाफ्ता दोषियों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई। बिलकिस बानों के दोषियों को पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर गुजरात सरकार ने कानून का उल्लंघन कर जबरदस्ती रिहा कर दिया था। बिलकिस बानो ने तब कहा था कि उन्हें रिहाई के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।