छत्तीसगढ़ में दूसरे दौर के चुनाव के लिए अब हफ्तेभर से भी कम का वक्त बचा है। ऐसे में सबकी निगाहे अब रायपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर दुर्ग जिले की पाटन सीट पर टिकी है। पाटन से चाचा-भतीजा यानी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके भतीजे और दुर्ग से बीजेपी के सांसद विजय बघेल फिर से एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी के बैटे अमित जोगी भी अपनी पार्टी “जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)” से बघेल को हराने का दंभ भर रहे हैं।
एक ही विधानसभा सीट पर तीन-तीन नामचीन हस्तियों के मैदान में होने की वजह पाटन का मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। हालांकि पाटन की जमीनी हकीकत यही है कि फिलहाल भूपेश बघेल अपने प्रतिद्वंदियों से काफी आगे चल रहे हैं। खास बात ये है कि महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रमोटर्स से 508 करोड़ रुपए लेने के बीजेपी के आरोप को यहां के लोग खारिज करते हैं। पाटन के लोगों का कहना है कि दुबई से चल रही किसी सट्ट्बाजी को रोकना तो गृह मंत्रालय का काम है। इसका दोष भूपेश बघेल के मत्थे कैसे मढ़ा जा सकता है।
रायपुर से पाटन की दूरी ज्यादा नहीं है लेकिन वहां तक पहुंचने के साधन यानी बसें बेहद कम हैं। बस से तीस-पैंतीस किलोमीटर के सफर में डेढ़ घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है। रायपुर में तो सड़कें खराब और अच्छी यानी मिली-जुली हैं, लेकिन पाटन में प्रवेश करते ही आपको अंदाजा हो जाता है कि आप किसी वीवीआईपी के चुनाव क्षेत्र में प्रवेश कर गए हैं।
यहां की चमकदार सड़कें आपको बता देती हैं कि भूपेश बघेल ने 2023 को ध्यान में रखकर अपने क्षेत्र की जनता को खुश करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। बस में मुश्किल से उनके विरोधी मिलते हैं, वो भी बघेल को लेकर शिकायती लहजे में बात तो करते हैं, लेकिन आखिर में बोल देते हैं कि वोट तो कांग्रेस को ही देंगे। भूपेश बघेल पाटन से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। बस 2008 में उन्हें अपने भतीजे विजय बघेल के हाथों हार का स्वाद चखना पड़ा था।
भूपेश बघेल ने 2003 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भतीजे विजय बघेल को हरा चुके हैं। 2018 के चुनाव में उन्होंने पाटन से बीजेपी प्रत्याशी मोतीलाल साहू को 27477 वोटों से हराया था। वहीं जेसीसीजे के उम्मीदवार को महज 13201 वोट ही मिले थे। 2018 के चुनाव में अमित जोगी की पार्टी जेसीसी(जे) का एलायंस बीएसपी के साथ था और उन्होंने 5 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। लेकिन 2023 के चुनाव में पाटन में उनकी स्थिति बेहद कमजोर दिखाई दे रही है। पाटन के लोगों का कहना है कि अमित जोगी को बीजेपी ने भूपेश बघेल को हराने के लिए चुनाव मैदान में उतारा है ताकि कांग्रेस के वोट में सेंध लगाई जा सके। यहां के लोगों का ये भी कहना है कि अमित जोगी को बीजेपी से फंडिंग हो रही हैै। लेकिन इस ख्याल को लेकर उनके पास कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है। उधर अमित जोगी बार बार ये कह रहे हैं कि वो भूपेश बघेल सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए ही चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं दुर्ग से बीजेपी सांसद और भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल कांग्रेस से ही बीजेपी में आए हैं। बीजेपी में
उनकी खूब आवभगत भी हो रही है। हाल ये है कि बीजेपी ने सीएम को हराने के लिए उन्हें चुनाव घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष तक बना डाला है। विजय बघेल अपने चाचा भूपेश बघेल के खिलाफ चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। 2018 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट से उन्होंने कांग्रेस की प्रतिभा चंद्राकर को करीब 4 लाख वोटों से हराया था। उनका कहना है कि बीजेपी ने उन्हें एक फ्राड, झूठे और भ्रष्टाचारी सीएम को हराने का मौका दिया है।
पाटन में आज हालात बदले हुए हैं। यहां के लोगों क कहना है कि विजय बघेल
चार साल बाद क्षेत्र में लौटकर आए हैं और बीते चार सालों में उन्होंने यहां की जनता की कोई खोज-खबर भी नहीं ली है। लिहाजा उनकी स्थिति इस बार चाचाजी के मुकाबले बेहद कमजोर नजर आ रही है। वैसे रायपुर से पाटन के सफर में आपको हर कदम पर कांग्रेस और बीजेपी के ढेर सारे झंडे दिखाई देंगे। जिनसे लग सकता है कि यहां मुकाबला कड़ा होने जा रहा है। लेकिन यहां के मतदाताओं से बातचीत के बाद ये बात तसल्ली के साथ कही जा सकती है कि भूपेश बघेल पाटन से बड़े अंतर से जीतने जा रहे हैं। इसकी बड़ी वजह धान की खरीद के लिए 3200 रुपए प्रति क्विंटल की घोषणा है जो बीजेपी के 3100 रुपए प्रति क्विंटल की घोषणा पर भारी है।
हालांकि आंखें मुंदकर भूपेश बघेल पर यकीन करने वाले पाटन के लोगों की बघेल सरकार से शिकायतें भी कम नहीं हैं। यहां के स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट की कमी की बात स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां करती हैं। पाटन के ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 6 से आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं हैं, जिसकी वजह से कई लड़कियों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ती है। मुख्यमंत्री के गांव बेलौदी के कई लोग वृद्धावस्था पेंशन, गैस सिंलेडर, मकान, नलजल सुविधा का लाभ नहीं मिल पाने की शिकायत करते भी दिखाई देते हैं। इन सबके बावजूद यहां बघेल के खिलाफ बघेल यानी चाचा-भतीजे की इस लड़ाई में किसी चौंकानेवाले नतीजे की उम्मीद ना के बराबर ही जान पड़ती है।