लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर गंभीर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों ने आज पाकिस्तान और चीन को साथ ला दिया है। चीन आज भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। ऊपर से सीमावर्ती राज्यों में केंद्र सरकार की नीतियों से लोगों में गहरा असंतोष है। लिहाजा आज देश बाहर और अंदर, दोनों से खतरे में है।
लोकसभा में राहुल गांधी ने मोदी सरकार को याद दिलाया कि हिंदुस्तान राजा-महाराजाओं का देश नहीं, बल्कि ‘राज्यों का संघ’ है। हर राज्य की अपनी संस्कृति, भाषा और इतिहास है। इसे केंद्र सरकार छड़ी से नहीं संवाद से ही चला सकती है। लेकिन बीजेपी और आरएसएस आज देश की बुनियाद के साथ खिलवाड़ कर रही है।
राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण सच्चाई से कोसो दूर था। उसमें बेरोजगारी का कोई जिक्र नहीं था। जबकि पिछले साल 3 करोड़ युवाओं ने अपना रोजगार खो दिया है। 50 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी इस वक्त हिंदुस्तान में है। यूपीए सरकार ने 27 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला था। आपने 23 करोड़ लोगों को वापस गरीबी में धकेल दिया है। पिछले 5 सालों में उत्पादन क्षेत्र में 46 फीसदी नौकरियां कम हुईं हैं। आपने अडानी और अंबानी को देश की सारी संपत्तियां बेच दी हैं। आज देश के 100 सबसे अमीर लोगों के पास देश के 55 करोड़ लोगों से ज्यादा पैसा है।
उन्होंने कहा कि आज दो हिंदुस्तान बन रहे हैं-एक गरीबों का और एक अमीरों का। इन दो हिंदुस्तानों के बीच खाई बढ़ती जा रही है। राहुल गांधी ने कहा, ‘ये दो हिंदुस्तान कैसे पैदा हुए? रोज़गार हमारे छोट और मझोले उद्योगों से पैदा होता है। असंगठित क्षेत्रों में बनता है। आपने नोटबंदी की। गलत तरीके से जीएसटी लागू किया। कोरोना के समय आम लोगों और उद्योगों की मदद नहीं की। नतीजा ये हुआ, आज 84 फीसदी देशवासियों की आमदनी घटी है और वो गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं।
कृषि कानूनों को लेकर भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तंज कसा। कहा, किसान एक साल तक कोरोना में सड़क पर बैठे रहे। मरते रहे। लेकिन ‘शहंशाह’ को कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने इजरायल से मोबाइल की जासूसी करने वाला पेगासस स्पाईवेयर को खरीदने को लेकर मोदी सरकार पर डायरेक्ट अटैक किया। राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस के जरिए नेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक संस्थाओं में अहम पदों पर बैठे लोगों की जासूसी कराई जा रही है। लिहाजा आज चुनाव आयोग और न्यायपालिका जैसी संवैधानिक संस्थाएं भी दबाव महसूस कर रहीं हैं।