एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ‘पेगासस’ जांच के संबंध में न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन समिति को एक पत्र लिखा है। पत्र में ‘पेगासस स्पाईवेयर’ की खरीद को लेकर ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट में किए गए चौंकाने वाले खुलासों का संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है। एडिटर्स गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट की जांच और निगरानी समिति से इस खुलासे को लेकर सरकार और संबंधित मंत्रालयों से जवाब-तलब का आग्रह भी किया है।
न्यायमूर्ति रवींद्रन को लिखे अपने पत्र में गिल्ड ने आग्रह किया कि देश में लोगों की जासूसी के लिए पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल की जांच को लेकर पिछले साल उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति की कार्यवाही को बड़े पैमाने पर जनता के लिए खुला रखा जाए। ताकि गवाहों को बुलाए जाने और उनके जवाबों के संबंध में पूरी पारदर्शिता हो।
उच्चतम न्यायालय ने समिति का गठन करते समय विशेष रूप से यह जांच करने को कहा था कि क्या स्पाईवेयर को केंद्र या किसी राज्य सरकार अथवा किसी केंद्रीय या राज्य एजेंसी द्वारा नागरिकों के खिलाफ उपयोग के लिए खरीदा गया है। गिल्ड ने अपने बयान में कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स की खोजी रिपोर्ट में किए गए दावे सरकार के रुख से मेल नहीं खाते हैं। इजरायली स्पाईवेयर पेगासस खरीदने और देश के कई पत्रकारों तथा संवैधानिक संस्थाओं के सदस्यों सहित नागरिकों के खिलाफ इसके इस्तेमाल के आरोपों के संबंध में सरकार ने अब तक साफ जवाब नहीं दिया है।
एडिटर्स गिल्ड ने न्यायमूर्ति रवींद्रन को लिखे अपने पत्र में लिखा है, ‘बीते 28 जनवरी 2022 को न्यूयॉर्क टाइम्स ने स्पाईवेयर पेगासस के बारे में एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसमें इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा भारत को पेगासस बेचने और लाइसेंस देने की बात कही गई है।‘
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की ‘द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने 2017 में इजराइल के साथ 2 अरब डालर का रक्षा सौदा किया था। करीब 15 हजार करोड़ के इसी रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में किसी के मोबाइल में जासूसी करने वाला पेगासस स्पाईवेयर खरीदा गया।