महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की आग फिलहाल शांत पड़ गई है। आरक्षण आंदोलन के अगुवा मनोज जारांगे ने राज्य सरकार से बातचीत के बाद जालना के अपने गांव में बीते 9 दिनों से चले आ रहे अनशन को ख़त्म करने का ऐलान कर दिया है। जारांगे ने आरक्षण के मुद्दे पर नीति बनाने के लिए सरकार को दो महीने का वक्त दिया है। हालांकि उन्होंने आंदोलन को फिलहाल वापस लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम भी दिया है कि अगर सरकार ने दो महीने में अपना वादा पूरा नहीं किया तो मराठा आरक्षण को लेकर फिर से उग्र आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा। मनोज जारांगे के अनशन खत्म करने के एलान के बाद इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है।
महाराष्ट्र के कई हिस्सों में मराठा आंदोलन की आग इस कदर भड़की की कई जगह हिंसा और आगजनी की खबरें आने लगी थी। एक दर्जन से ज्यादा लोगों के खुदकुशी करने की खबरें भी आईं। आंदोलनकारियों ने बीड में एनसीपी के दो विधायकों के घर और दफ्तर तक फूंक डाले। दो सांसदों को तो अपने इस्तीफे का एलान करना पड़ा। धारा 144 और कफ्यू लगाकर सरकार किसी तरह इस आंदोलन की आग को शांत करने की कोशिश की। लेकिन मनोज जारांगे के भूख हड़ताल की जगह आमरन अनशन करने के एलान ने सरकार को सकते में डाल दिया। लिहाजा एकनाथ शिंदे सरकार को आनन-फानन में बीते 1 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलानी पड़ी। जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देने का आश्वासन भी दे डाला।
दरअसल महाराष्ट्र में मराठा वोटरों की ताकत को देखते हुए कोई भी दल इस मुद्दे पर कोई खतरा उठाने को तैयार नहीं हैं। साथ ही वो ओबीसी समुदाय की बड़ी तादाद को देखते हुए उन्हें भी नाराज नहीं करना चाहते। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की कोशिश को बार बार खारिज कर दिया हो। इसीलिए गुरुवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग पर अपनी सहमति जताई। बैठक में एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार भी शामिल हुए। हालांकि शिवसेना उद्धव गुट के नेता सर्वदलीय बैठक में अहमियत ना दिए जाने से नाराज दिखे।
बड़ा सवाल ये है कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के मसले से जुड़े कानूनी पहलुओं से कैसे निपटा जाएगा? एकनाथ शिंदे सरकार का कहना है कि ओबीसी समुदाय से समझौता किए बिना हम मराठा समुदाय को आरक्षण देना चाहते हैं। इस सिलसिले में मनोज जारांगे को मनाने गए पूर्व न्यायाधीशों और सरकार के मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने का मामला अदालत में तभी टिक सकता है जब पिछड़ेपन को निर्धारित करने के मानदंडों को पूरा किया जाए। सरकार इस काम को अब युद्धस्तर पर करने जा रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि सरकार मराठा समुदाय के आरक्षण को लेकर जस्टिस शिंदे की समिति की रिपोर्ट स्वीकर कर ली है।