Sunday, December 15, 2024
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हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए छात्राओं का कहना है कि अगर सिखों को पगड़ी पहनने, हवाई जहाज में कृपाण ले जाने, हिंदू महिलाओं को सिंदूर-बिंदी लगाने की की छूट दी जा सकती है तो मुस्लिम छात्रोओं को स्कूल ड्रेस के साथ हिजाब डालने पर पाबंदी क्यों लगाई जा रही है?

हिजाब को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से निराशा हाथ लगने के बाद अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उडुपी की निबा नाज और मनाल नाम की याचिकाकर्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए कहा है कि उन्हें स्कूल ड्रेस के साथ हिजाब डालने की अनुमति दी जाए। याचिका में कहा गया है कि हिजाब को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन करता है।
याचिका में कह गया है कि दूसरे धर्मों के लोगों को उनके धार्मिक रीति-रिवाज के हिसाब से कई तरह की छूट मिली हुई है तो फिर मुस्लिम छात्राओं को स्कूल-कॉलेजों में हिजाब की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती? ऐसे में हाईकोर्ट का ये फैसला संविधान के बराबरी के अधिकार के खिलाफ है और इस फैसले को निरस्त किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की तत्काल सुनवाई करने से इंकार करते हुए कहा कि होली के बाद वो इसपर सुनवाई करेगा।
इससे पहले हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्राओं की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। स्कूल-कॉलेज में छात्र यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है। स्कूल यूनिफार्म को लेकर बाध्यता एक उचित प्रबंधन है। इससे इंकार नहीं कर सकते। गौरतलब है कि छात्राओं ने हाईकोर्ट में स्कूल ड्रेस पहनने से मना नहीं किया था, बल्कि स्कूल ड्रेस के साथ हिजाब डालने की मांग की थी।
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