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अमित शाह के न्यौते पर जयंत चौधरी का पलटवार, कहा-चवन्नी नहीं हूं जो पलट जाऊंगा
अमित शाह के जयंत चौधरी को साथ आने के निमंत्रण पर तंज कसते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा कि 'लोग आमतौर पर नज़र बचाकर छोटी-मोटी चोरी करते हैं, बड़ी सावधानी के साथ पॉकेटमारी करते हैं, लेकिन यहां तो सरेआम समजावादी पार्टी-आरएलडी गठबंधन पर डाका डाला जा रहा है।'
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट वोटरों को पटाने की अमित शाह की कोशिशों को पलीता लगता दिखाई दे रहा है। दिल्ली में बड़े ही तामझाम के साथ बुलाई गई 250 जाट नेताओं की बैठक में हवा बनाने की तो खूब कोशिश हुई। लेकिन नतीजा निकला ढाक के तीन पात। ऊपर से बीजेपी की बेइज्ज्ती अलग हो गई। उत्तर प्रदेश चुनाव में जाटों के इस चुनाव में खफा होने को लेकर पार्टी की बैचैनी भी खुलकर सामने आ गई।
दरअसल अमित शाह ने बगैर किसी तैयारी के मीडिया के सामने कह दिया कि जाटों के साथ उनका रिश्ता 650 साल पुराना है और जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ जाकर गलत फैसला ले लिया है। उन्होंने यहां तक कहा कि इस बैठक में शामिल जाट नेता जयंत चौधरी को मनाने जाएगे और अगर वो चुनाव से पहले नहीं मानते हैं तो चुनाव के बाद भी उनके लिए हमारे दरवाजे खुले हैं। अमित शाह की इस कोशिश को समाजवादी पार्टी और आरएलडी के गठबंधन ने भांप लिया और जयंत चौधरी ने दो टूक कह दिया कि हम चवन्नी थोड़े हैं जो पलट जाएंगे।
आरएलडी ने अमित शाह की इस कोशिश को एक शातिराना चाल के तौर पर लिया है। जयंत चौधरी का कहना है कि दरअसल बीजेपी इस तरह के आयोजन और न्यौते से मतदाताओं में कन्फ्यूज करना चाहती है। लेकिन जाट समुदाय जो मोटे तौर पर किसान हैं, सरकार की दादागिरी को भूले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर अमित शाह को न्यौता ही देना है तो उन 700 किसान परिवारों को न्यौता भेजना चाहिए, जिन्होंने तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करते हुए अपनी जान गंवा दी।
अमित शाह के जयंत चौधरी को साथ आने के निमंत्रण पर तंज कसते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा कि ‘लोग आमतौर पर नज़र बचाकर छोटी-मोटी चोरी करते हैं, बड़ी सावधानी के साथ पॉकेटमारी करते हैं, लेकिन यहां तो सरेआम समजावादी पार्टी-आरएलडी गठबंधन पर डाका डाला जा रहा है।’