-विमल कुमार
हनुमान- प्रभु! क्या आप मेरा संसद का पास बनवा देंगे?
राम- तुम संसद क्यों जाना चाहते हो पवन सूत? संसद अब सुरक्षित जगह नहीं रही। भाजपा के शासन काल मे संसद पर यह दूसरा हमला है। इस बार भाजपा के सांसद के नाम पर पास बना। अगर विपक्ष के किसी सांसद के नाम पर पास बना होता तो अब तक हंगामा खड़ा हो जाता। विपक्ष को आतंकवादी बता दिया जाता। शुक्र है, उसके किसी सांसद के नाम से यह पास नहीं बना।
हनुमान- हाँ प्रभु! आप सही कह रहे हैं।
राम- हनु तुम्हारा पास अब नहीं बन सकता। एक तो कोई सांसद वानरों का पास नहीं बनवायेगा। अगर बना भी तो सिक्योरिटी वाले उसे अंदर नहीं जाने देंगे। तुमको पता न हो। राजेन्द्र यादव ने कभी हनुमान को पहला आतंकवादी कहा था।
हनुमान- आप सही याद दिला रहे हैं। हंस के संपादकीय में यादव जी ने लिखा था। तब पुलिस उनके पीछे पड़ गयी थी। उसे हनुमान का अपमान बताया गया था।
राम- लेकिन आज मुझे डर लग रहा संसद जाने से। क्या पता मेरे तार आतंकवादियों से न जुड़ा बता दिया जाए।
हनुमान- प्रभु आपके साथ ऐसा नहीं हो सकता।
राम- क्यों हनु? ऐसा क्यों?
हनुमान- क्योंकि आपके पास पूंछ नहीं है।
राम- आखिर पूंछ का क्या वास्ता आतंकवाद से।
हनुमान- प्रभु! इस पर डीयू में शोध होगा, तभी पता चलेगा।
राम- पूंछ पर शोध?
(Disclaimer: प्रभु श्रीराम और हनुमानजी के बीच ये काल्पनिक संवाद है)