हनुमान: प्रभु!आजकल आप बहुत खांस रहे हैं। क्या बात है?
— विमल कुमार
राम-“हनुमान! पिछले कुछ दिनों से मेरे सीने में काफी जलन है और गला भी खराब हो गया है। खांसते खांसते मेरी हालत खराब हो गई है। समझ में नहीं आता। यह सब क्यों हो रहा है?”
हनुमान-“प्रभु! दरअसल यह सब प्रदूषण के कारण हो रहा है। देख नहीं रहे आप, दिल्ली में कितना प्रदूषण है। यूनेस्को के रिकॉर्ड के अनुसार 1000 गुना प्रदूषण दिल्ली में हो गया है। दिन में ही आसमान में धुंध छाई रहती है। सूरज भी दिखाई नहीं देता है कभी-कभी।”
राम-“हां हनुमान! तुम ठीक कह रहे हो, लेकिन यह प्रदूषण हो क्यों रहा है?”
हनुमान-“प्रभु !इसके कई कारण हैं। एक तो पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली है। दूसरे दिल्ली में इतने निर्माण। बड़े-बड़े अपार्टमेंट बन रहे हैं उससे प्रदूषण हो रहा है। और तीसरा कारण यह है कि यहां लाखों वाहन हैं जिसके कारण यह प्रदूषण हो रहा है। चौथी बात यह है कि दिवाली में इतने पटाखे छूटे, इतने पटाखे छूटे की प्रदूषण और बढ़ गया है।”
राम-“हनुमान! लेकिन हमारे जमाने में तो प्रदूषण था नहीं। यह पटाखे भी नहीं छूटे थे, जब मैं लंका विजय कर अयोध्या आया तो मेरे स्वागत में दीप जरूर जले थे, पर पटाखे नहीं छूटे थे।”
हनुमान-“लेकिन प्रभु! आपके विजय उत्सव के लिए तो अयोध्या में 23 लाख दिए जले। क्या उससे प्रदूषण नहीं हुआ?”
राम-“तुम ठीक कर रहे हो हनुमान, इतने दिए नहीं जलने चाहिए थे। एक गरीब देश में इससे तो बेहतर यह होता कि कुछ गरीबों को खाने को मिल जाता, कुछ बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें मिल जाती।”
हनुमान-“प्रभु !आप ठीक बोल रहे हैं, लेकिन यह तो अमृत काल है, इसमें तो बस दिए जल रहे हैं, पटाखे फूट रहे हैं और कोर्ट के आदेश की ऐसी तैसी हो रही है प्रभु! आपकी खांसी अभी नहीं जाएगी। जब तक यह प्रदूषण रहेगा आप इसी तरह खांसते रहेंगे केजरीवाल की तरह।”
राम-“हनुमान तुम ठीक कह रहे हो। लगता है एक दिन मेरा भी फेफड़ा खराब हो जाएगा और मुझे भी अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा।
हनुमान-“लेकिन आप इतने महंगे प्राइवेट हॉस्पिटल में अपना इलाज कैसे करेंगे? आपके पास तो सीजीएचएस फैसिलिटी भी नहीं है और आपने कोई मेडिकल इंश्योरेंस भी नहीं करवा रखा है।”
(Disclaimer: प्रभु श्रीराम और हनुमानजी के बीच ये काल्पनिक संवाद है)