केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों से नाराज किसान संगठनों ने उत्तर प्रदेश चुनावों में बीजेपी की कथनी और करनी को लेकर वोटरों को सजग करने का फैसला लिया है। इसके लिए ‘मिशन यूपी’ का आगाज किया गया है। जिसके तहत किसान संगठन घर-घर जाकर पर्चे बांटेंगे। और तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान शहीद हुए 700 किसान परिवारों को मुआवजा नहीं मिलने, एमएसपी का कानून नहीं बनाने जैसी दूसरी मांगों के समर्थन में बीजेपी को सजा देने की मांग भी करेंगे।
इस अभियान के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि किसानों की सरकार के साथ 5 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। लेकिन आज तक एमएसपी पर कमेटी तक नहीं बनी है। किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस नहीं हुए हैं। पराली पर जुर्माना और बिजली बिल के मुद्दे पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इस मिशन को लकेर आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को बजट से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन हमें घोर निराशा हुई है। सरकार ने बजट में किसानों की कमर तोड़ने का काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार बोला है कि यूपी में गन्ने का भुगतान 14 दिन में होगा। लेकिन हकीकत ये है कि गन्ने के भुगतान में एक साल का समय लग रहा है। साथ ही एमएसपी पर फसलों की खरीद भी नहीं हो रही है।