– DelhiNews24x7 ब्यूरो।
दिल्ली बीजेपी मुख्यालय पर सहयोगी दलों के साथ दिनभर चली बैठक के बाद उम्मीद थी कि पार्टी उत्तर प्रदेश चुनाव में सीटों का एलान करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा बस इतना कह पाए कि बीजेपी सहयोगी दलों के साथ सभी 403 सीटों पर चुनाव लडेगी। यानी गठबंधन का तो एलान हो पाया लेकिन सीटों के बंटवारे पर पेंच फंस गया है।
दरअसल पिछड़ी जातियों और दलित समुदाय पर प्रभुत्व रखने वाली पार्टियों के नेताओं के धड़ाधड़ पार्टी छोड़कर जाने के बाद बीजेपी सकते में है। ऐसे में पार्टी अपने बचे हुए दो बड़े सहयोगियों को किसी सूरत में नाराज नहीं करना चाहती। मगर दिक्कत ये है कि बीजेपी में आए ताजा भूकंप के बाद दलितों-पिछड़ों की हैसियत उत्तर प्रदेश में बढ़ गई है। और अब वो अपना हक पूरी मजबूती से मांग रहे हैं। वैसे बिग ब्रदर वाली भूमिका में बीजेपी आज भी है लेकिन आंख दिखाने की हैसियत वो खो चुकी है।
खबरों के मुताबिक अपना दल की अनुप्रिया पटेल इसबार दो दर्जन सीट मांग रहीं हैं। वहीं निषाद पार्टी के संजय निषाद भी 15 से 18 सीट पर आंख गड़ाए बैठे हैं। लेकिन बीजेपी की मंशा इन्हें सस्ते में चलता करने की है। पिछले चुनाव में बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल गुट वाले अपना दल को 11 सीटें दी थीं, जिनमें से 9 सीटों पर विजयी मिली थी। निषाद पार्टी को 2017 के चुनाव में कई छोटे दलों के साथ गठबंधन के बाद भी एक ही सीट पर जीत मिल पाई थी। ऐसे में उनकी 15 सीटों की मांग को लेकर बीजेपी में सहमति नहीं बन पा रही है।
अब बीजेपी इस मामले को थोड़ा लंबा खींचना चाहती है, ताकि इनके इधर-उधर भागने का रास्ता बंद हो जाए। फिर सीटों पर उन्हें राजी करना आसान हो जाएगा। लेकिन बीजेपी में रहकर बीजेपी की नीयत को समझने वाली ये छोटी पार्टियां इस खेल को नहीं समझती, ये मानना बीजेपी एक बड़ी भूल साबित हो सकती है।