
तो क्या माना जाए केजरीवाल साहब ईडी की नोटिस से डर गए हैं, घबरा गए हैं और उन्हें अपनी गिरफ्तारी का डर सताने लगा है? इस मामले में केजरीवाल ने ईडी को एक पत्र भी लिखा है। जिसमें उन्होंने ईडी से पूछा है कि आपके नोटिस में ये स्पष्ट नहीं है कि मुझे किस हैसियत से शराब नीति घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। मुझे बताया जाए कि शराब घोटाला मामले में मैं संदिग्ध हूं या गवाह। मुझे व्यक्तिगत तौर पर बुलाया गया है या बतौर दिल्ली का मुख्यमंत्री। उन्होंने ईडी के लिखे पत्र में इस समन को गैरकानूनी और राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसे वापस लेने की मांग भी की है।
दरअसल केजरीवाल राजनीति के चतुर खिलाड़ी बन गए हैं। जांच एजेंसियों को चकमा देना उनकी फितरत में शामिल है। तभी आम आदमी पार्टी के नेता और मंत्री के गिरफ्तार होते ही सबसे पहले वो उन्हें कट्टर ईमानदार होने का सर्टिफेकेट बांट देते हैं। और जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत नहीं मिलती तो जांच एजेंसियो के साथ बीजेपी की सांठगांठ का आरोप मढ़ देते हैं। 338 करोड़ के शराब घोटाला मामले में भी केजरीवाल साहब यही रणनीति अपनाते नजर आ रहे हैं। उनका आरोप है कि शराब घोटाला मामले में मुझे समन पांच राज्यों में होने वाले चुनाव प्रचार से रोकने के लिए दिया गया है। जहां आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है और मैं पार्टी का स्टार प्रचारक हूं।

केजरीवाल ने ईडी के नौटिस को गैरकानूनी और सियासी साजिश बताते हुए बीजेपी नेताओं पर जांच एजेंसियों के साथ मिलकर उनकी छवि को दागदार करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बीजेपी नेताओं को उन्हें समन भेजे जाने से पहले ही तलब किए जाने और गिरफ्तारी की जानकारी कैसे हो गई थी? उन्होंने भगवंत मान के साथ सिंगरौली में जनसभा और रोड शो में मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि आप केजरीवाल को तो गिरफ्तार कर लोगे, लेकिन केजरीवाल की सोच को कैसे गिरफ्तार करोगे? उन्होंने कहा कि आज ईडी और सीबीआई बीजेपी और बीजेपी ही ईडी और सीबीआई है। तभी तो केवल इंडिया गठबंधन के नेताओं को ही निशाना बनाया जा रहा है।
उधर दिल्ली बीजेपी ने नेता हरीश खुराना का कहना है केजरीवाल साहब को 338 करोड़ के मनी ट्रेल यानी पैसे के अवैध लेनदेन का जवाब देना ही होगा। ये हैरानी की बात है कि इतना बड़ा घोटाला हो गया और केजरीवाल को कुछ पता ही नहीं । जबकि वो बार-बार सार्वजनिक तौर पर नई शराब नीति में किसी घोटाले की बात से इंकार करते रहे हैं। उन्होंने सवाल दागा कि अगर नई शराब नीति में कोई घोटाला हुआ ही नहीं तो केजरीवाल ने उसे आनन-फानन में वापस क्यों ले लिया? वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा तो दो कदम आगे बढ़कर कहते हैं, “शराब घोटाला मामले में केजरीवाल मास्टरमाइंड ही नहीं किंगपिन हैं। इस घोटाले के सामने आने के बाद ये साबित हो गया है कि केजरीवाल कट्टर ईमानदार नहीं, बल्कि कट्टर बेईमान और कट्टर बेशर्म भी हैं।”

दरअसल केजरीवाल को पता है कि इस मामले सुप्रीम कोर्ट की ओर से आम आदमी पार्टी को भी पक्ष बनाए जाने की बात कहे जाने के बाद उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। इसीलिए केजरीवाल ईडी के सामने पेश होने से कतरा रहे हैं। जबकि उनकी पार्टी के नेता उनकी गिरफ्तारी से पहले ही गिरफ्तारी का एलान करते फिर रहे हैं। दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज का आरोप है कि केजरीवाल साहब को जेल में सड़ाने की साजिश की जा रही है। केजरीवाल की भक्ति में उन्होंने तो ये भी कहने में संकोच नहीं किया कि “अगर केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं तो आम आदमी पार्टी और दिल्ली की सरकार जेल से ही चलेगी।” दरअसल केजरीवाल की गिरफ्तारी की सूरत में कौन होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री, इसे लेकर पार्टी के कई नेताओं के बीच होड़ सी मची हुई है। और सबके सब खुद को केजरीवाल के सबसे करीब और स्वामीभक्त साबित करने में लगे हैं।
केजरीवाल ने ईडी के सामने पेश नहीं होने का फैसला काफी सोच समझ कर लिया है। क्योंकि पीएमएलए यानी अवैध पैसे के लेन देन मामले में कोई आरोपी तीन बार ईडी के सामने पेश होने से छूट ले सकता है। उसके बाद ईडी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। तभी इस मामले में ईडी अब केजरीवाल को दूसरा नोटिस करने जा रही है। तो क्या केजरीवाल ने ईडी के सामने पेश न होकर गिरफ्तारी की सूरत में भविष्य की राजनीति की रूपरेखा तैयार करने के लिए थोड़ा वक्त लिया है। क्योंकि 338 करोड़ के शराब घोटाला मामले में सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की जमानत याचिकाओं पर कोर्ट के रूख को देखते हुए गिरफ्तारी की सूरत में उन्हें जल्दी बेल मिल जाएगी, इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है।