Wednesday, January 22, 2025
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देश के 50 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 19 शहर बिहार के

-अरविंद कुमार

नयी दिल्ली। देश के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में 19 शहर बिहार के हैं जबकि टॉप 10 प्रदूषित शहरों में बेगूसराय, छपरा और पटना शामिल हैं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए बजट आवंटन केवल तीन शहरों में किया गया और आवंटित 322 करोड़ में केवल 170 करोड़ ही खर्च हो पाया। यह दावा सेण्टर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने अपनी रिपोर्ट में किया है। संस्था ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए राज्य और केंद्र सरकार के कार्यों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसमें यह जानकारी दी गयी है।

Photo: Social Media

इस रिपोर्ट में सरकार द्वारा विभिन्न पोर्टलों और दस्तावेजों में शामिल किये गए आंकड़ों का अध्ययन किया गया है और उन्हीं आकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट संकलित की गयी है। रिपोर्ट के अनुसार, बेगूसराय 265 माईक्रोग्राम प्रति घनमीटर, छपरा 212 माईक्रोग्राम प्रति घनमीटर और पटना 212 माईक्रोग्राम प्रति घनमीटर के स्तर पर प्रदूषित रहते हुए भारत के सर्वाधिक दस प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल हुए हैं। जबकि देश के सर्वाधिक प्रदूषित 50 शहरों में बिहार के कुल 19 शहर शामिल हैं। अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक संख्या में बिहार के शहरों का प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल होना बेहद चिंता का विषय है।

वर्ष 2020 तक बिहार में केवल 5 शहरों में ही वायु गुणवत्ता की जांची जाती थी, जिनमे पटना, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, गया और औरंगाबाद शामिल थे। अब इस लिस्ट में 18 अन्य शहरों को जोड़ लिया गया है और वर्तमान में कुल 23 शहरों में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले एक साल में कूल 346 दिन इन सभी 23 शहरों में वायु गुणवत्ता का हाल, मानक से खराब रहा है। इन 23 में से 20 शहर अब भी केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से बाहर हैं।

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की घोषणा के 5 वर्ष पूर्ण होने पर सीआरईए द्वारा जारी इस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में यह पाया गया कि सरकार द्वारा घोषित इस कार्यक्रम के लक्ष्यों को हासिल करने में कमी रहने पर किसी भी प्रकार की सजा का प्रावधान न होने से काफी लापरवाहियां हुई हैं और इस बेहद ही जरुरी कार्यक्रम के लक्ष्य हासिल नहीं किये जा सके हैं।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में शामिल सभी तीन शहरों में श्रोत विभाजन अध्ययन कर लिया गया है, लेकिन इस अध्ययन से प्राप्त जानकारियाँ अब तक आम जनता से साझा नहीं की गयी हैं। इन तीनों शहरों के लिए कार्यक्रम के अंतर्गत जनवरी 2019 से दिसंबर 2023 तक कुल 322 करोड़ रुपये जारी किये गए हैं, जिसमे केवल 170 करोड़ ही खर्च किये जा सके। कुल आवंटित रकम में से 94 प्रतिशत रकम केवल पटना जिले के लिए थी।

वर्ष 2023 में इन सभी 23 शहरों में से 16 शहर ऐसे थे, जहां लगभग 90 प्रतिशत दिनों की वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में खराब थी। जबकि इनमे से 11 शहरों की वायु गुणवत्ता पिछले एक वर्ष में सत्तर प्रतिशत दिन राष्ट्रीय मानकों की तुलना में खराब रही हैं। केवल सासाराम और मंगुरहा की वायु गुणवत्ता पिछले एक वर्ष के दौरान 50 प्रतिशत दिनों राष्ट्रीय मानकों के मुकाबले ठीक रहीं।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम वर्ष 2019 में लागू किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की वायु गुणवत्ता स्तर में महत्वपूर्ण सुधार लाते हुए 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) की सघनता में वर्ष 2017 की तुलना में कम से कम 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना था। बाद में इन लक्ष्यों में संशोधन करते हुए वर्ष 2026 तक 40 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया।

द क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर का कहना है, “बिहार में खतरनाक प्रदूषण स्तर दर्ज करने वाले गैर-एनसीएपी शहरों की बड़ी संख्या में उपस्थिति व्यापक वायु गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को उजागर करती है, जो इस कार्यक्रम के अंतर्गत जोड़े गए शहरों की सूची का पुनर्मूल्यांकन करने, इस सूची को पुनः तैयार करने और इन शहरों के लिए स्वच्छ वायु कार्ययोजना बनाने जैसी की आवश्यकताओं पर बल देती है।

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