-विमल कुमार
हनुमान- प्रभु! क्या आप उठ गए?
राम- नहीं हनुमान! मैं अभी रजाई के भीतर लेटा हुआ हूं .
हनुमान- महाराज! जरा जल्दी उठिए स्नान आदि कीजिए। आज तो आपकी प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है।
राम- लेकिन हनुमान इतनी ठंड में मैं नहाऊं कैसे? मुझे तो रजाई से बाहर निकलने में ही कोफ्त हो रही है।
हनुमान- नहीं प्रभु! ऐसे तो काम नहीं चलेगा आज तो आपको कम से कम नहाना ही होगा। नहीं तो शास्त्र सम्मत प्राण प्रतिष्ठा नहीं कहलाएगी। शास्त्रों में लिखा हुआ है कि सुबह-सुबह स्नान करके ही प्राण प्रतिष्ठा होती है।
राम- लेकिन हनुमान यहां तो सब कुछ शास्त्रों के अनुरूप नहीं हो रहा है और इसलिए शंकराचार्य सब नाराज है तो क्या मैं बिना नहाए अपनी प्राण प्रतिष्ठा नहीं कर सकता।
हनुमान- महाराज आप इंस्टेंट गीजर से पानी गर्म कर लीजिए और उसमें ही नहा लीजिए”।
राम- लेकिन हनुमान मुझे बाथरूम में कपड़े तो खोलने पड़ेंगे और अगर मुझे ठंड लग गई तो। “जानते हो क्या होगा, लेने के देने पड़ जाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा की जगह मेरे प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।
हनुमान- प्रभु आप ऐसा कीजिए आप फ्रेंच स्नान ही कर लीजिए। मगर कीजिए जरूर। दो-चार बूंदे गंगाजल की अपने सर पर छिड़क लीजिए ।
राम- गुड आइडिया हनुमान! तुमने अच्छा रास्ता निकाला है। अब मैं फ्रेंच बाथ लेकर ही बाहर आऊंगा और फिर मेरी प्राण प्रतिष्ठा होगी ।
हनुमान- जल्दी करें प्रभु। 69 देश में आपका लाइव टेलीकास्ट होने वाला है। 1000 पत्रकार अयोध्या पहुंच गए हैं। मीडिया कैंप लगा हुआ है। कैमरे सेट हो गए हैं। लखनऊ से हर 15 मिनट पर पत्रकारों को लेकर बस आ रही है। जल्दी कीजिए महाराज! सारे vip पहुंच गए हैं। आपकी जब प्राण प्रतिष्ठा होगी तो आपके सामने मेगा स्टार होंगे बड़े-बड़े इंडस्ट्रलिस्ट होंगे। बड़े-बड़े आईएएस अधिकारी होंगे। बड़े-बड़े पुलिस अधिकारी होंगे। आपको क्या यह सब नसीब हुआ था जब आप रावण का वध कर अयोध्या आए थे। आपकी विजय जुलूस में क्या कोई vip था। यह परम सुख तो जीवन मे सौभाग्य से मिलता है। आप साहब को आभार व्यक्त करें। आपके लिए वे सब कर रहे हैं।
राम- “तुम ठीक कह रहे हो। आज से मेरे लिए वही हनुमान हैं।
हनुमान- ऐसा जुल्म न करें प्रभु! मेरी दुकानदारी बन्द हो जाएगी। मैं बेरोजगार हो जाऊंगा। भूखों मर जाऊंगा।
(Disclaimer: प्रभु श्रीराम और हनुमानजी के बीच ये काल्पनिक संवाद है)