नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को उस समय अफरा तफरी मच गई जब बेरोजगारी के सवाल पर दो युवक दर्शक दीर्घा से नीचे कूद पड़े और सदन में रंगीन धुआं फैला दिया। इसी दौरान संसद के बाहर भी एक महिला समेत दो लोगों ने जमकर नारेबाजी की। उन्होंने अपने इस कदम को सरकार की तानाशाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बताया। संसद परिसर में ये बड़ी सुरक्षा चूक आतंकी हमले के 22 साल बाद सामने आई है। जिसने संसद की सुरक्षा व्यवस्था और देश की खुफिया एजेंसियों की पोल खोल दी है। आखिर ये बोरोजगार युवक और युवती संसद के अंदर अपनी आवाज उठाने का जो रास्ता अख्तियार किया उन्हें इसकी भनक तक कैसे नहीं लगी? इन युवकों को संसद में प्रवेश का पास मैसुरु से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा की अनुशंसा पर दिया गया था।
हालांकि पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया है। इनके एक साथी को गुरुग्राम से भी गिरफ्तार किया गया है। वहीं इस विरोध प्रदर्शन में शामिल एक और शख्स ललित झा को पुलिस नहीं पकड़ पाई है। पुलिस की पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि वो बेरोजगारी से परेशान थे और घोर नाराजगी की स्थिति में उन्होंने इस तरह का कदम उठाने का फैसला किया। सदन में शून्यकाल के दौरान जब दोनों युवक सदन में कूदकर सांसदों की टेबल से होते हुए आसान की ओर बढ़ रहे थे, तबी कुछ सांसदों ने उन्हें दबोच लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। इसी बीच एक युवक ने सदन में पीले रंग का धुआं फैला दिया। वो बेरोजगारी और तानाशाही के खिलाफ नारेबाजी भी करते नजर आए।
सदन की कार्यवाही संसद परिसर की संपूर्ण जांच-पड़ताल के बाद बुधवार को दो बजे फिर से शुरू हो गई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसदों को भरोसा दिलाया कि जो धुआं फैलाया गया था वो साधारण श्रेणी का था। उन्होंने ये भी कहा कि इस घटना को अंजाम महज सनसनी फैलाने के लिए ही दिया गया था। लिहाजा इसमें किसी तरह की चिंता की कोई बात नहीं है। फिलहाल संसद में प्रवेश के नियम-कानूनों की समीक्षा की जा रही है और आगंतुकों के पास पर रोक लगा दी गई है। सुरक्षा को भी और चाक-चौबंद बनाया जा रहा है।
पुलिस ने बताया कि पकड़े गए सभी आरोपियों का कोई आपराधिक
रिकॉर्ड अबतक नहीं पाया गया है। वो पहले भी कई आंदोलनों में हिस्सा ले चुके हैं। सदन में कूदने वाले सागर शर्मा और मनोरंजन डी और संसद परिसर के बाहर से हिरासत में लिए गए नीलम और अनमोल शिंदे आपस में सोशल मीडिया के सहारे एक दूसरे के संपर्क में आए थे। इस घटान को अंजाम देने से पहले उन्होंने इसकी पूरी योजना भी तैयार की थी। इनके पास से स्वतंत्रता सेनानियों और देशभक्तों की जीवनी से संबंधित किताबें भी मिली है। लेकिन घोर आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी तैयारी की भनक देश की खुफिया एजेंसियों को नहीं मिल पाई।