– विमल कुमार
हनुमान– क्या आपने अपने जीवन में कभी किसी को “पनौती” कहा था?
राम– नहीं हनुमान! मैंने अपने जीवन में कभी किसी को “पनौती” नहीं कहा। न रावण को, न मेघनाथ को, न कुंभकरण को। आखिर में कौन होता हूँ किसी को पनौती कहनेवाला। तुम तो जानते ही हो रावण तो महाज्ञानी था। तीनों लोक का उसे ज्ञान था। वेद पुराण सब उसे कंठस्थ थे, तो उसे मैं पनौती कैसे कहता।
हनुमान– प्रभु! अच्छा यह बताइए!! क्या रावण ने कभी आपको “पनौती” कहा था?
राम– नहीं हनुमान! रावण इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करता था। आखिर तुम यह सब मुझसे क्यों पूछ रहे हो?
हनुमान– प्रभु! आजकल पृथ्वी पर यह शब्द अचानक बहुत लोकप्रिय हो गया है। यह शब्द इतना लोकप्रिय हो गया है कि विदेशों में लोग इसका अर्थ पूछ रहे हैं। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को नोटिस भेज दी है।
राम– अच्छा हनुमान! तुम एक बात यह बताओ कि “मूर्खों के सरदार” पर चुनाव आयोग ने नोटिस क्यों नहीं भेजी?
हनुमान– आप सही बोल रहे हैं प्रभु! लेकिन चुनाव आयोग तो चुनाव आयोग है, वह अब कहां तटस्थ रहा। वह कहां न्याय करता है, मुझे तो लगता है कहीं धीरे-धीरे वह “पनौती आयोग” ना बन जाए। मुझे तो इसी बात का डर लग रहा है, खैर! सवाल मूर्खों का सरदार का नहीं बल्कि यह दो सरदारों का मामला है।
राम– यह तुम क्या कर रहे हो हनु! दो सरदारों का मतलब?
हनुमान– प्रभु !भारतीय राजनीति में एक तरफ किसी को “मूर्खों का सरदार” कहा जा रहा है तो दूसरी तरफ किसी को “झूठों का सरदार” कहा जा रहा है। इसलिए मैंने कहा यह दो सरदारों का मामला है। लेकिन ये सरदार अपने ऊपर कोई पगड़ी नहीं बांधते। यह नए सरदार हैं।
राम– तुम्हारी भारतीय राजनीति तुमको सुभानल्लाह! भाषा का इतना पतन हो जाएगा, यह मैंने कभी नहीं सोचा था। इससे तो अच्छा रावण था। कम से कम उसकी भाषा अच्छी थी। वह किसी को इतना घटिया और नीच नहीं समझता था। लेकिन तुम्हारी भारतीय राजनीति में तो एक से बढ़कर एक लोग हैं, जो कभी किसी को “उल्लू” भी बोल देते हैं। जो कभी किसी को “जर्सी गाय” भी बोलते थे, तो कभी किसी को “मौत का सौदागर” भी बोल देते हैं, तो कभी किसी को “50 करोड़ की गर्लफ्रेंड” भी बोल देते हैं, किसी को बदनसीब बोलते हैं। रावण ने मुझे कभी नहीं कहा कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं।
इसलिए मैं तो यह कहता हूँ, रावण ज्यादा अच्छा था। अगर वह हमारे देश का प्रधानमंत्री होता तो कम से कम हमारे देश की भाषा तो अच्छी होती।
हनुमान– आप ठीक कर रहे हैं प्रभु! हमें अब रावण से ही अनुरोध करना चाहिए कि अब तुम 2024 में भारत के प्रधानमंत्री बन जाओ। मेरे ख्याल से रावण जी चुनाव लड़ेंगे तो जीत भी जाएंगे।
राम– बहुत सुन्दर आईडिया है। तुम्हारे पास एक से एक आईडिया रहते हैं। इस बार तुम भी लड़ जाओ चुनाव।
हनुमान– प्रभु! तो मैं इस बार टिकट के लिए ट्राई करता हूँ। तब तक आपके लिए मैं कुछ फ्राई करता हूँ।
(Disclaimer: प्रभु श्रीराम और हनुमानजी के बीच ये काल्पनिक संवाद है)