उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल में 15 दिनों से फंसे 41 मजदूर आज भी जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे है। उन्हें बाहर निकालने की हर कोशिश अबतक नाकाम ही साबित हुई है। टनल की खुदाई करने वाली जिस अमेरिका ऑगर मशीन के भरोसे उत्तराखंड सरकार बार-बार उनके कुछ ही घंटे में श्रमिकों को बाहर निकालने के दावे कर रही थी, वो सभी दावे टॉय-टॉय फिस्स हो गए हैं और मजदूरों के परिजनों की चिंताएं बढ़ गईं है।
दरअसल राहत और बचाव के काम में लगाई गई अमेरिकी ऑगर मशीन मजदूरों से महज 10 मीटर पहले टूट गई, जिसके कारण रेस्क्यू का काम शुक्रवार से ठप है। इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अरनॉल्ड डिक्स का कहना है कि अब ऑगर मशीन से ड्रिलिंग नहीं होगी और न ही दूसरी मशीन मंगाई जाएगी। टनल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब दूसरे विकल्पों की मदद ली जाएगी। प्लान बी के तहत टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी हो रही है।
उत्तारखंड के मुख्यमंत्री के पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन उत्तरकाशी पहुंच गई है। और जल्दी ही राहत और बचाव के काम फिर से शुरू कर दिए जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि अबतक 47 मीटर की खुदाई हो चुकी है। लेकिन मजदूरों तक सीधी पहुंच और उन्हें बाहर निकालने के लिए 10 से 15 मीटर की खुदाई अभी और की जानी है। लिहाजा ये काम बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
इस बीच टनल में 15 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को खाना और दवा मुहैया कराई जा रही है। खबर है कि उन्हें किसी तरह मोबाइल फोन भी मुहैया कराए गए हैं। सरकार का दावा है कि टनल में फंसे सभी श्रमिकों की हालत ठीक है। हालांकि उनके परिजन सरकार पर उन्हें जल्दी बाहर निकालने का दबाव बना रहे हैं। लेकिन राहत और बचाव के काम में लगे इंजीनियरों का कहना है कि इस मामले में कोई भी जल्दबाजी जानलेवा साबित हो सकती है। लिहाजा सबको धैर्य बनाए रखने की जरूरत है।