दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज ‘क्षेत्रीय रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम परियोजना’ के लिए धन आवंटित नहीं करने को लेकर केजरीवाल सरकार की जमकर खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने हलफनामा देकर ये भरोसा दिलाया था कि सरकार रैपिड रेल परियोजना के लिए धन राशि मुहैया कराएगी। लेकिन दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए भरोसे को तोड़ा है। लिहाजा हम सरकार के 550 करोड़ के विज्ञापन फंड में से 415 करोड़ रुपए ‘रैपिड रेल परियोजना’ में ट्रांसफर करने का आदेश देते हैं।
हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि अगर दिल्ली सरकार अपनी मर्जी से परियोजना के लिए जरूरी फंड आवंटित कर देती है तो ये आदेश लागू नहीं होगा। लेकिन अगर सरकार एक हफ्ते के भीतर ऐसा नहीं करती है तो कोर्ट का आदेश स्वत: लागू माना जाएगा। यानी कोर्ट ने अपने के आदेश को एक हफ्ते के लिए स्थगित रखा है और गेंद को केजरीवाल सरकार के पाले में डाल दिया है।
ये आदेश पारित करते हुए जस्टिस किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने कहा कि बीते अप्रैल महीने में उन्होंने दिल्ली सरकार को 415 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जबकि प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली को इस रैपिड रेल परियोजना यानी आरआरटीएस के चालू होने से प्रदूषण से कुछ निजात मिल सकती है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार के पिछले तीन साल का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ रुपए का है। जबकि इस साल केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन के लिए 550 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की है।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के सामने वचन दिया था कि वह आरआरटीएस यानी रैपिड रेल परियोजना के लिए बजटीय प्रावधान करेगी। कोर्ट ने सरकार से उनके विज्ञापन का बजट दिखाने को कहा। विज्ञापन पर पानी की तरह बहाई जा रही अथाह 550 करोड़ की धनराशि को देखते हुए ही कोर्ट ने कहा, “अगर बीते 3 वर्षों में विज्ञापन पर 1100 करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं तो निश्चित तौर पर बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट में योगदान दिया जा सकता है।”
दिल्ली सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से एक हफ्ते का वक्त मांगा तो जस्टिस कौल ने कहा कि मामले को एक हफ्ते बाद सूचीबद्ध किया जाएगा। और अगर इस बीच फंड का आवंटन नहीं हुआ तो 550 करोड़ रुपए के विज्ञापन फंड में से 415 करोड़ रुपए को परियोजना में स्थानांतरित करने का आदेश अपने आप लागू हो जाएगा। हालांकि कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अपील को मानते हुए उन्हें अपने वचन को पूरा करने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दे दी। न्यायालय ने यह आदेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) की ओर से दायर आवेदन पर पारित किया है, जिसमें दिल्ली सरकार की ओर से दिए गए हलफनामे की शर्तों के उल्लंघन की बात कही गई थी।