पंजाब एण्ड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस नोटिफिकेशन को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है जिसमें स्थानीय लोगों को निजी कंपनियों में 75 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था। हरियाणा सरकार का ये नोटिफेकेशन रोजगार अधिनियम 2020 के तहत 2021 में जारी किया गया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रोजगार अधिनियम 2020 बेहद खतरनाक है और संविधान के भाग 3 का सरासर उल्लंघन करता है।
हरियाणा सरकार के इस आदेश को प्रदेश इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इंडस्ट्री के लोगों का कहना था कि स्थानीय लोगों को निजी कंपनियों में 75 फीसदी आरक्षण का प्रावधान संविधान सम्मत नहीं है। क्योंकि निजी क्षेत्रों में नौकरियां हुनर और दूसरे
मानदंडों के हिसाब से दी जाती हैं। उनका ये भी कहना था कि ये कानून उन लोगों के खिलाफ है जो अपनी क्षमता और योग्यता के हिसाब से देश के किसी भी हिस्से में नौकरी पाने का संवैधानिक अधिकार रखते हैं।
हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक ये कानून अगले 19 सालों तक प्रभावी रहने वाला था। हालांकि इसे लागू करने में नई कंपनियों यानी स्टार्ट अप को 2 साल की छूट दी गई थी। निजी क्षेत्रों की नौकरी में आरक्षण का वादा दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने 2019 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था। जिसे चौटाला ने खट्टर सरकार में डिप्टी सीएम बनने के बाद पूरा किया था। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद दुष्यंत चौटाला का कहना है कि वो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेंगे। क्योंकि ये कानून प्रदेश के लोगों और निजी उद्योगों के हित में है।