- अखिलेश सुमन
शुक्रवार को भारत ने ग्लोबल साउथ का वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित किया। इसके पहले भारत ने इस साल 12-13 जनवरी को भी ग्लोबल साउथ का वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। पहला शिखर सम्मेलन भारत के जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद गरीब और पिछड़े देशों की समस्याओं को समझने के लिए थी ताकि जी20 में आवाज उठाई जा सके। शुक्रवार का शिखर सम्मेलन जी 20 में भारत की अध्यक्षता की समाप्ति और उसके पहले आयोजित की जा रहे वर्चुअल शिखर सम्मेलन के पहले हुआ ताकि जी20 के निर्णयों से ग्लोबल साउथ के देशों को अवगत कराया जा सके और 22 नवंबर को जी 20 के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ की मांग को एक बार फिर से उठाया जा सके।
ग्लोबल साउथ अभी तक कोई संगठन नहीं है लेकिन भारत ने पहली बार इसके दो शिखर सम्मेलन करके उनको संगठित करने की कोशिश की है। ऐसे देशों की संख्या करीब 140 है जिनमें से 130 देशों ने शुक्रवार के ग्लोबल साउथ समिट में हिस्सा लिया। इस शिखर सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा भी शामिल हुए जिनके हाथों में भारत के बाद जी 20 की अध्यक्षता जाएगी।
ग्लोबल साउथ शब्द को एक अमेरिका लेखक और वामपंथी विचारक कार्ल ऑलगोसबी ने दुनिया के सामने रखा था। इनमें तकरीबन उन्हीं देशों को माना जाता है जो एक समय तीसरी दुनिया के देश कहे जाते थे या जो गुटनिरपेक्ष देश समझे जाते थे। सोवियत संघ के पराभव के बाद चूंकि तीसरी दुनिया के देश और गुटनिरपेक्षता की अहमियत करीब-करीब खत्म हो गई है। इसलिए ग्लोबल साउथ का सीधा उपयोग गरीब और विकासशील देशों के लिए किया जा रहा है। भारत ने इनकी आवाज बनने की कोशिश की है और जी 20 शिखर सम्मेलन में इसे हर सत्र में उठाया भी है। दुनिया में ये देश अभी नेतृत्व विहीन हैं और गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता खत्म होने के बाद इनकी कोई सामूहिक आवाज भी नहीं है। भारत की पहल पर पहली बार विश्व मंचों पर उनकी आवाज उठाई जाने लगी है।
प्रधानमंत्री ने कहा हर साल आयोजित करेंगे ग्लोबल साउथ का शिखर सम्मेलन
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद शुक्रवार को हुए वर्चुअल ग्लोबल साउथ के शिखर सम्मेलन में कहा कि वो सालाना इस तरह के शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि अभी तक दो बार इसका वर्चुअल शिखर सम्मेलन हुआ है लेकिन भारत इसके वास्तविक शिखर सम्मेलन का आयोजन भी कर सकता है।
भारत में आयोजित हो सकता है ग्लोबल साउथ के देशों का शिखर सम्मेलन
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के बाद पहली बार इस तरह का आयोजन हो रहा है। लेकिन एक फर्क यह है कि जहां गुटनिरपेक्ष आंदोलन अमेरिका और सोवियत संघ दोनों से बराबर दूरी बनाकर चलने वाले संगठन के रूप में उभरा था, वहीं भारत की कोशिश है कि ग्लोबल साउथ सबके साथ मिलकर चलाने वाले सहयोग संगठन के रूप में विकसित हो। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल साउथ के शिखर सम्मेलन में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की बात की है और इसी मूलमंत्र के साथ उन्होंने दुनिया के गरीब, विकासशील और पिछड़े देशों को साथ लेकर चलने का आह्वान किया है।