छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बस्तर संभाग की 20 सीटों पर पहले दौर के मतदान के लिए अब 48 घंटे से भी कम वक्त बचा है। ऐसे में आदिवासियों के हक और हुकूक की बात कर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी को घेरने की पूरजोर कोशिश की है। राहुल ने जगदलपुर की सभा में आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन का सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने वादे के मुताबिक सूबे में पेसा (PESA) कानून लागू किया है, जो आदिवासियों को उनके बुनियादी अधिकार प्रदान करता है। जबकि बीजेपी आदिवासियों को वनवासी कहता है ताकि उन्हें उनके जल, जंगल और जमीन के अधिकार से बेदखल किया जा सके।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बीजेपी के नेता आदिवासी युवा पर पेशाब करते हैं, फिर उसका वीडियो बनाकर उसे वायरल करते हैं। दरअसल बीजेपी के लोग आदिवासियों को जानवर समझते हैं और उन्हें बताना चाहते हैं कि उनकी जगह कहां है। इसीलिए बीजेपी ने आदिवासियों के लिए वनवासी शब्द निकाला है। ये सोचते हैं कि जंगल में जो जानवर रहते हैं वैसी ही आपकी जगह होनी चाहिए। इनके नेता आदिवासियों के साथ जानवरों सा बर्ताव करते हैं। क्योंकि बीजेपी के दिलो दिमाग में आदिवासी जंगल ही हैं।
जगदलपुर की सभा में राहुल गांधी ने आदिवासी शब्द को क्रांतिकारी बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासी शब्द के अंदर, इसकी गहराई में आपकी सच्चाई छिपी है। आदिवासी का मतलब है, इस देश के पहले और असली मालिक। यानी इस देश के जल, जंगल, जमीन के मालिक। जबकि बीजेपी के लोग आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहते हैं, यानी वे लोग जो जंगल में रहते हैं। वनवासी शब्द आदिवासियों का अपमान है। बीजेपी आदिवासी शब्द का इस्तेमाल इसलिए नहीं करती, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल किया तो उन्हें आपका अधिकार, जंगल, जल और जमीन आपको वापस लौटानी पड़ेगी।
उन्होंने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि भूपेश बघेल सरकार आदिवासियों के लिए ट्राइबल बिल, PESA कानून और भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आई है। जिसमें साफ लिखा है, जब तक आदिवासियों के गांव की ग्राम सभा इजाजत नहीं देगी, तब तक कोई भी आदिवासियों की जमीन नहीं ले सकता है। हमने ये वादा किया था और हमने इस वादे को पूरा किया है।
दरअसल छत्तीसगढ़ की सत्ता की चाबी बस्तर-दुर्ग से आती है। लिहाजा दुर्ग की 8 और बस्तर की 12 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद इस सीटों पर बीजेपी का जोर रहा लेकिन बीते चुनाव में बस्तर संभाग में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन कर सभी 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2013 के चुनाव में भी कांग्रेस को बस्तर की 12 में से 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी ने इस चुनाव में धर्मांतरण का मुद्दा जोर शोर से उठाया है लेकिन सांप्रदायिक राजनीति का ये रंग चढ़ता नजर नहीं आ रहा है।