अगर कांग्रेस पंजाब में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी चेहरे का एलान करती है तो वो चेहरा कोई और नहीं चरणजीत सिंह चन्नी ही होंगे! मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने के लिए पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। सिद्धू अपनी दावेदारी को लेकर इस हद तक हड़बड़ाहट में हैं कि कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ धमकी भरे अंदाज मे अमर्यादित भाषा तक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वो यहां तक कहते हैं कि मुख्यमंत्री के लिए ईमानदार चेहरे का एलान करो, नहीं तो जनता बदलाव के लिए तैयार बैठी है। इसमें आरजू-मिन्नत कम और धमकी भरा अंदाज ज्यादा नजर आता है।
इस कड़ी में सिद्धू के ताजा बयान को देखा जा सकता है। जिसमें वो कहते हैं, ‘पंजाब की तकदीर और तदवीर कोई ईमानदार आदमी ही बदल सकता है। रेत माफिया और केबल माफिया का सरपरस्त न तो पंजाब का भला कर सकता है और न ही पंजाब के बदवाल के रोडमैप को ही लागू कर सकता है।’ जाहिर है नवजोत सिंह सिद्धू का इशारा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ओर ही है। जिनके भतीजे भूपिंदर सिंह हनी को अवैध बालू खनन केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया है। दरअसल सिद्धू के राह में सबसे बड़ा रोड़ा आज चन्नी ही हैं।
सिद्धू की डिक्शनरी में ‘ईमानदार आदमी’ सिर्फ और सिर्फ सिर्फ सिद्धू ही हैं। कोई दूसरा चेहरा उन्हें नजर तक नहीं आता। वो घुमा-फिराकर कभी राहुल गांधी के सामने तो कभी उनके पीछे इशारो-इशारो में चन्नी को कमजोर, पिलपिला और नाकाबिल मुख्यमंत्री बताने से बाज नहीं आते। जबकि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सिद्धू के मन मे जितनी बेचैनी और बेताबी है उतनी चरणजीत सिंह चन्नी में कहीं नजर नहीं आती। चन्नी ने तो खुलकर कह दिया है, अगर आलाकमान सिद्धू को चेहरा बनाना चाहे तो उन्हें कोई एतराज नहीं होगा। तो क्या एतराज राहुल गांधी को है? या फिर सोनिया गांधी सिद्धू के नाम पर मुहर नहीं लगाना चाहती हैं।
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। अगर होता तो सुनील जाखड़, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सिद्धू के कतार में होने के बाद भी सोनिया गांधी चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर क्यों लगातीं। फिर चरणजीत सिंह चन्नी दलित हैं। और ऐसे में सोनिया गांधी चाहकर भी पंजाब के 30 लाख से ज्यादा दलित वोटरों को नाराज नहीं कर सकतीं हैं। दूसरे, एक मुख्यमंत्री के होते हुए कोई भी पार्टी चुनाव के बाद के लिए बतौर मुख्यमंत्री दूसरे नाम का एलान नहीं हो सकता? क्योंकि इससे पंजाब के दलितों में गलत संदेश जाएगा।
दरअसल पंजाब में कांग्रेस का मुकाबला अकाली दल-बीएसपी गठबंधन के साथ आम आदमी पार्टी से भी है। और चन्नी कांग्रेस के लिए तुरुप का एक्का साबित हो सकते हैं। चन्नी ने अपने तीन महीने के छोटे से कार्यकाल में पंजाब के लोगों का दिल जीत लिया है। खासकर प्रधानमंत्री मोदी के पंजाब दौरे के दौरान हुई कथित सुरक्षा में चूक के मामले को चन्नी ने जिस खूबसूरती से हैंडल किया और जितनी साफगोई से विपक्ष के आरोपों के जवाब दिए, उसकी सबने तारीफ की है। चन्नी में सबसे बड़ी बात ये है कि उनमें न तो सत्ता का धमंड झलकता है और न ही वो बड़बोलेपन के शिकार हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने दो ही विकल्प बचते हैं। पहला, वो किसी चेहरे का एलान ही न करे। और दूसरा-‘वो चेहरे के चुनाव का फैसला चुनाव नतीजे के बाद चुने गए विधायकों पर छोड़ दे।’
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