समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश चुनाव में मायावती को साथ आने का खुला निमंत्रण देकर प्रदेश में सियासी उठापटक को तेज कर दिया है। अखिलेश यादव का कहना है कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए अंबेडकरवादियों को भी समाजवादियों का साथ देना चाहिए और इस लड़ाई को मजबूत करना चाहिए। हालांकि सीधे तौर पर उन्होंने बीएसपी या मायावती का नाम नहीं लिया।
दरअसल अपनी चुनावी सभाओं में मायावती बीजेपी से ज्यादा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को ही निशाने पर ले रही हैं। बीते दिनों उनकी आगरा की रैली में इसकी झलक भी देखने को मिली। रैली में मायावती ने समाजवादी पार्टी को आरक्षण विरोधी और कांग्रेस को दलितों और पिछड़ा विरोधी करार दिया था। हालांकि मायावती ने बीजेपी को नहीं बख्शा था और उन्हें नफरत और सांप्रदायिकता फैलाने वाली पार्टी करार दिया था।
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती बीते हफ्ते ही चुनावी मैदान में सक्रिय नजर आ रहीं हैं। इससे पहले वो लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ही चुनावी तैयारियों में व्यस्त रहीं हैं। उनके मैदान में देर से सक्रिय नहीं होने को लेकर कई तरह के सियासी कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव की इस सियासी गुगली का मायावती क्या जवाब देती हैं?