Sunday, December 15, 2024
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उत्तर प्रदेश में 5वें दौर का मतदान: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और विकास के बीच फंसी बीजेपी

बीजेपी राम मंदिर और राष्ट्रवाद के भरोसे उत्तर प्रदेश के चुनाव मैदान में उतरी थी। फिर बुर्के के सवाल पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की। लेकिन जब ये तीनो फॉर्मूले फेल हो गए तो वो विकास के मुद्दे पर लौटना चाहती है। लेकिन विकास के मुद्दे पर लौटना बीजेपी को भारी पड़ सकता है।

उत्तर प्रदेश चुनावों में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अलख जगा रही बीजेपी 4 चरणों में के मतदान के बाद भी अपना आगे का चुनावी रास्ता तय नहीं कर पा रही है। दरअसल चार दौर के मतदान के बाद जो फीडबैक बीजेपी को मिला है वो उन्हें निरुत्साहित कर रहा है। बीजेपी की नजर अब पांचवे, छठे और सांतवें दौर के मतदान पर है। जिसमें वो कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। लेकिन उसकी असली दुविधा ये है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के खरीदार भीषण बेरोजगारी और महंगाई के दौर में सिकुड़ गए हैं।

बीजेपी अबतक राम मंदिर, सुरक्षा और विकास के साथ ही बेहतर कानून व्यवस्था के बीच ही कदमताल करती नजर आ रही है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का बीजेपी का फॉर्मूला नाकाम ही दीख रहा है। लिहाजा पांचवें दौर में बीजेपी ने एक बार फिर विकास पर दांव लगाया है। मगर विकास को लेकर उसे वोटरों के कठिन सवालों से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में अवध और पूर्वांचल के 12 जिलों की 61 सीटों पर उसे लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं।

अगर बीजेपी के ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र 2022’ पर भी नजर डालें तो उसमें बीते 5 सालों का हिसाब-किताब नदारद है। लिहाजा वोटर बीजेपी से पूछ रहा है, ‘डबल इंजन की सरकार ने 5 सालों में किया क्या है?’ बीजेपी से हर विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय लोगों की शिकायत है कि विधायक जी के दर्शन 5 साल बाद हो रहे हैं। और विधायकजी हैं कि मोदी लहर की उम्मीद में वोटरों की जमकर अनदेखी की है।

विकास के नाम पर बीजेपी के पास कहने को शौचालय, उज्जवला गैस सिलेंडर, प्रधानमंत्री आवास योजना, कोरोना काल में 5 किलो मुफ्त राशन और आयुष्मान भारत के सिवाय कुछ और नहीं है। इन उपलब्धियों के लिए जनता उन्हें 2017 और 2019 में वोट दे चुकी है। लिहाजा इन योजनाओं में आम जनता के लिए कोई रस नहीं बचा है।

जनता अब ये भी जान गई है कि मोदीजी मुफ्त के नाम पर जो कुछ दे रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा सरसों तेल, रसोई गैस और पेट्रोल-डीजल से वसूल रहे हैं। बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि वोटर अब प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर का फंडा भी समझने लगा है। यानी देश का गरीब से गरीब आदमी भी सरकार जो दे रहा है उससे ज्यादा टैक्स सरकार के खजाने में भर रहा है। यानी मुफ्त का फॉर्मूला बैकफायर करने लगा है।

उत्तर प्रदेश में पांचवें दौर के चुनाव में सबसे ज्यादा 61 सीटों पर मतदान होगा। जिनमें अवध और पूर्वांचल के अयोध्या, अमेठी, रायबरेली, सुल्तानगंज, बाराबंकी, प्रयागराज, चित्रकूट समेत 12 जिले शामिल हैं। इस दौर में बीजेपी के सामने जहां 2017 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस अपनी खोई जमीन तलाश रही है। समाजवादी पार्टी को इस दौर में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। बीएसपी बीते चुनाव में इन जिलों में खाता नहीं खोल पाई थी और इस बार भी खाता खुलने की संभावना कम ही नजर आ रही है।

संजय कुमार
संजय कुमार
संजय कुमार 1998 से अबतक टीवीआई, आजतक, इंडिया टीवी, राज्यसभा टीवी से जुड़े रहे हैं। बीते दो साल से स्वराज एक्सप्रेस न्यूज चैनल के कार्यकारी संपादक हैं।
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