-अरविंद कुमार
कोलकाता। देश के 22 युवा लेखकों को कल कोलकत्ता में युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। इनमें हिंदी के युवा लेखक अतुल कुमार तिवारी और उर्दू के तौसीफ खान शामिल हैं। रवींद्र सदन सभागार( कोलकाता) में आयोजित एक भव्य समारोह में अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने 22 भाषाओं के युवा लेखकों को 2023 के लिए प्रतिष्ठित युवा पुरस्कार प्रदान किए गए। पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपए की राशि और उत्कीर्ण ताम्र फलक दिया गया। इस क्रम में प्रशस्ति पाठ अकादेमी के सचिव डॉ के श्रीनिवासराव द्वारा किया गया तथा पुरस्कार-अर्पण के पहले अकादेमी की उपाध्यक्ष प्रो कुमुद शर्मा ने पुष्पगुच्छ भेंट करके पुरस्कृत लेखकों का अभिनंदन किया।
पुरस्कृत लेखकों में शामिल हैं-जिंटू गीतार्थ (असमिया), हामिरुद्दीन मिद्या (बाङ्ला), माइनावस्रि दैमारि (बोडो), धीरज कुमार रैना (डोगरी), अनिरुद्ध कनिसेट्टी (अंग्रेजी), अतुल कुमार राय (हिंदी), मंजुनाथ चल्लुरु (कन्नड), निगहत नसरीन (कश्मीरी), तन्वी श्रीधर कामत बांबोलकार (कोंकणी), संस्कृति मिश्र (मैथिली), गणेश पुत्तूर (मलयाळम्), थिङनम परशुराम (मणिपुरी), विशाखा विश्वनाथ (मराठी), नयन कला देवी (नेपाली), दिलेश्वर राणा (ओड़िआ), संदीप शर्मा (पंजाबी), देवीलाल महिया (राजस्थानी), मधुसूदन मिश्र (संस्कृत), बापी टुडु (संताली), मोनिका पंजवाणी (सिंधी), राम थंगम (तमिळ), तक्केडसिला जॉनी (तेलुगु) और तौसीफ खान (उर्दू)। इनमें से धीरज कुमार रैना पुरस्कार ग्रहण करने के लिए उपस्थित नहीं हो सके।
समारोह के आरंभ में अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने राष्ट्रीय युवा दिवस के पावन अवसर पर स्वामी विवेकानंद के विचारों को रेखांकित करते हुए समाज के सम्यक विकास के लिए युवा लेखकों को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री कौशिक ने कहा कि साहित्य अकादेमी का यह मंच संपूर्ण भारतीय साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है तथा हमारे युवा लेखक भारतीय भाषाओं के साहित्य का भविष्य हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात बाङ्ला कवि डॉ. सुबोध सरकार ने कहा कि अक्सर युवा लेखक अपने लेखन की सफलता को लेकर सशंकित रहते हैं, लेकिन उनका क्रांतिकारी लेखन उनकी नवीन संभावनाओं को संकेतित करता है। अपने समाहार वक्तव्य में अकादेमी की उपाध्यक्ष प्रो कुमुद शर्मा ने कहा कि अकादेमी के इस मंच का साक्षी रहते हुए वे यह अनुभव करती हैं कि साहित्य का भविष्य और भविष्य का साहित्य बिलकुल भी खतरे में नहीं है। सोशल मीडिया के वर्तमान समय में लेखकों को बिना किसी हस्तक्षेप के अपने को अभिव्यक्त करने का विस्तृत मंच प्राप्त हुआ है।